संवाद भारत : हिमाचल विधानसभा चुनावों में जिस तरह के नतीजे कल आए सभी सीटों के परिणाम चौंकाने वाले थे। उससे भी जादा चौंकाने वाली बात थी धूमल को किनारे लगाने की जगत प्रकाश नड्डा की जिद्द। 18 में से 10 सीटों पर बागियों ने ऐसा खेल बिगाड़ा कि मिशन रिपीट की बजाए डिलीट ही हो गया। अब प्रदेश में यह चर्चाएं भी तेज हैं कि अगर नड्डा की धूमल को किनारे लगाने की जिद्द न होती और धूमल को चुनाव लड़वाकर प्रचार अभियान में जोर शोर से लगाया होता तो न बगावत होती न ही भाजपा सत्ता से बाहर होती। क्योंकि बागियों के विषय में एक बड़ी बात ये है कि ये सभी बागी धूमल खेमे से संबंधित थे।
एक बड़ा सवाल समय के माथे पर यह भी खड़ा है कि क्या भाजपा अपनी समीक्षा बैठकों में उपचुनावों की हार से भी सीख ही नहीं ले पाई या फिर यह सब कुछ जान-बूझकर किया गया ताकि हार का ठीकरा किसी और के सर पर मढ़ा जा सके।
बहरहाल बात चाहे जो भी रही हो, पर सत्ता से बाहर होने का खामियाजा तो भाजपा को ही भुगतना पड़ा है।