संवाद भारत : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में अनाथ बच्चों, एकल नारी और वृद्धाश्रमों के लिए राहत कोष की घोषणा की है। इस राहत कोष का नाम ‘सुख आश्रय कोष’ रखा गया है। यह कोष तत्काल प्रभाव से प्रदेश में लागू होगा। इसमें सरकार ने 101 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की है। इसके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह भी ऐलान किया कि कांग्रेस के सभी 40 विधायक अपने पहले वेतन से इसी राहत कोष में 1 -1 लाख ₹ देंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि अभी सरकार बने केवल 21 दिन हुए हैं और इस कम समय में सरकार ने अनाथ बच्चों और एकल नारियों के लिए विशेष योजना की शुरुआत की है। सरकार की ओर से अनाथ बच्चों और एकल नारियों को त्योहार के मौके पर 500 रुपए फेस्टिवल ग्रांट और जेब खर्च के लिए चार हजार रुपए दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि अब राहत कोष के बाद अनाथ बच्चे और एकल नारी सरकार के साथ अपनत्व महसूस करेंगे। उन्हें सरकार द्वारा अपने घर-परिवार की कमी भी महसूस नहीं होने दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब अनाथ बच्चों और एकल नारियों के माता और पिता दोनों ही सरकार होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोष सरकार के कागजी बंधनों से दूर होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीजेपी के विधायकों से भी इस कोष में अपना पहला वेतन दान करने की अपील की है। साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सरकार की लोगों के लिए करुणा नहीं बल्कि इनका सरकार पर अधिकार है। हिमाचल प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों और एकल नारियों की पूरी पढ़ाई का भी खर्चा वहन करेगी।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू सचिवालय से पहले टूटीकंडी स्थित बालिका आश्रम गए। दिल्ली से लौटने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तुरंत मशोबरा स्थित नारी निकेतन और अनाथ आश्रम जाने का फैसला किया। यहां उन्होंने एकीकृत आश्रम बनाने की घोषणा के साथ कमरों को वर्ल्ड क्लास बनाने की बात की थी।
दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का अनाथ और बेसहारा लोगों के साथ अपनत्व का भाव है। मुख्यमंत्री ने कॉलेज के दिनों का किस्सा साझा करते हुए कहा कि उनके साथ कई ऐसे विद्यार्थी पढ़ा करते थे, जो अनाथ थे। उनका परिवार नहीं था और त्योहार आने पर यह बच्चे अपने परिवार को बेहद याद करते थे। एक साथी को तो मुख्यमंत्री घर भी ले जाया करते थे, लेकिन अपनों से दूर रहने का भाव हमेशा इन बच्चों के मन में रहा। ऐसे में मुख्यमंत्री ने अब इस तरह के बच्चों को आगे बढ़ाने और इनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्चा सरकार की ओर से वहन किए जाने को लेकर बड़ा कदम उठाया है।