हिमाचल में पूर्ण बहुमत से वंचित भी रह सकती है कांग्रेस और भाजपा

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संवाद भारत : हिमाचल प्रदेश में किसकी सरकार बन रही है इसका फैसला तो 8 दिसंबर को होगा लेकिन आज से एग्जिट पोल आने भी शुरू हो चुके हैं। इंडिया टुडे के मुताबिक कांग्रेस को 30 से 40 और भाजपा को 24 से 34 सीटें मिलने का अनुमान है इसके अलावा अन्य एग्जिट पोल भाजपा की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। सभी चैनल के एग्जिट पोल के अनुसार आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश में अपना खाता इन चुनावों में नहीं खोल पाएगी।

प्रदेश के इन चुनाव परिणामों में कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो जीत और हार का फैसला करेंगे। भाजपा के अपने कार्यकर्ताओं ने इस बार पार्टी से बागी होकर निर्दलीय लड़ने का फैसला किया कारण यह भी बताया गया की टिकट आवंटन पारदर्शी तरीके से नहीं हुआ। इन चुनावों में धूमल की अनदेखी का भी एक बहुत बड़ा रोल रहेगा, भाजपा के मंडलों ने भी इस बार अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिसका हालिया उदाहरण पवन काजल द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा गया पत्र है जिसमें उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान मंडल ने उनके विरुद्ध काम किया। ओल्ड पेंशन स्कीम इन चुनावों में भाजपा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन भाजपा ने यह कहकर कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया कि कांग्रेस की सरकार के समय ही एमओयू पर साइन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किए थे , चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का एक बयान जो उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान दिया था कि “अगर कर्मचारियों को पेंशन चाहिए तो वे चुनाव लड़े” कर्मचारी सरकार से काफी नाराज भी दिखे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा वह मंत्री अनुराग ठाकुर के लिए भी हिमाचल को जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को लेकर बात करें कांग्रेस ने OPS को ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल किया है , लेकिन कांग्रेस की कमी भाजपा यह बताती है कि कांग्रेस के पास नेता ,नीति और नेतृत्व की कमी है। बहरहाल 8 दिसंबर का दिन इस राज से भी पर्दा उठा देगा कि क्या हिमाचल की जनता रिवाज बदलना चाहती है या फिर नहीं ? क्योंकि अबतक की बात करें तो हिमाचल की जनता को प्रदेश में अदला – बदली ही पसंद आई है।

इस बार के आकलनों में एक आंकलन ये भी लगाया जा रहा है की प्रदेश में 1998 वाली स्थिती भी बन सकती है जिसमें पूर्ण बहुमत किसी को नहीं लेकिन निर्दलीय का रोल अहम रहेगा।

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