ब्यूरो : फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र हिमाचल का ऐसा विधानसभा क्षेत्र जो अक्सर चर्चाओं में रहता है क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को हराने में कांग्रेस का नहीं अपितु भाजपा का ही हाथ रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बागी और कद्दावर नेता चार बार के विधायक, एक बार के मंत्री डाॅ राजन सुशांत और वर्तमान में भाजपा से बागी चल रहे पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार आते हैं। कृपाल परमार जहां पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के करीबी माने जाते हैं तो वहीं डाॅ राजन सुशांत एक समय पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के बाद कांगड़ा जिला से भाजपा के मुख्यमंत्रियों के दावेदारों में से एक थे।
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र 2007 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था, जहां पर कांग्रेस के कद्दावर नेता सुजान सिंह पठानिया का (2012,2017) कब्जा रहा और मंत्री भी बने। खास बात यह भी है कि कांग्रेस को इस सीट पर लोकप्रियता का कम और भाजपा की बगावत का जादा लाभ मिला है। क्योंकि जब जब चुनाव होते हैं इस सीट पर भाजपा के एक नहीं बल्कि दो – दो बागी बतौर आजाद या फिर किसी दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ते हैं और भाजपा को हराने में अपना शत प्रतिशत योगदान देते हैं। 2012 में जब चुनाव हुए थे बलदेव ठाकुर भाजपा के प्रत्याशी थे और राजन सुशांत निर्दलीय चुनाव लड़े थे परिणाम स्वरूप भाजपा को हार नसीब हुई थी, 2017 में भी यही कहानी लिखी गई कृपाल परमार को भाजपा ने टिकट दिया, राजन सुशांत तथा बलदेव ठाकुर निर्दलीय चुनाव लड़े और सुजान सिंह पठानिया अपने जीवन का 7वां चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे। 2021 में हुए उपचुनावों में भी कुछ ऐसा ही हुआ कृपाल परमार का टिकट कटा बलदेव ठाकुर प्रत्याशी बने हालांकि कृपाल परमार को तो भाजपा ने मना लिया लेकिन राजन सुशांत पहले की तरह ही जीत की राह में रोड़ा बनकर अड़े रहे।
अभी के आम चुनावों में भी इस सीट पर भाजपा को जीत मिलती नहीं दिख रही है क्योंकि इस बार इस सीट पर भाजपा ने सरकार के मंत्री राकेश पठानिया को चुनाव लड़वाया है। कृपाल परमार ने बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा है, और डाॅ राजन सुशांत दूसरी बार आम आदमी पार्टी का दामन थाम कर अब आप के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। कृपाल परमार को मनाने के लिए प्रधानमंत्री ने भी फोन किया था परंतु नामांकन वापसी की तिथी निकल चुकी थी। अब सबकी नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि क्या राकेश पठानिया कांग्रेस के इस अभेद्य किले को भेद पाएंगी या फिर 2012,2017 और उपचुनाव की तर्ज पर बगावत की भेंट चढ़ेंगे ?
बहुत अच्छा और सच्चा विश्लेषण राजन सुशांत एक ऐसे व्यक्ति हैं जो टिकट मिले तो भाजपा का अन्यथा किसी और का और मुझे लगता है इस बार लोगों जरूर सबके सिखाएंगे जहां तक कृपाल परमार की बात है उनका नाराज होना सही बात है भाजपा ने बहुत कुछ आपस में भी राजनीति खेली है जिसके दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।