तो क्या देश की न्यायापालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका के कार्य से असंतुष्ट हैं राष्ट्रपति मुर्मू ?

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संवाद भारत : देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। जिसमें संविधान दिवस के उपलक्ष्य पर सर्वोच्च न्यायालय के सभागार में संविधान दिवस पर आयोजित अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की कार्यपालिका न्यायपालिका और विधानपालिका के विषय में बड़ी बात करते हुए कहा कि इन तीनों को आपस में समन्वय बिठाने की जरूरत है।

छोटे छोटे अपराधों में जेलों में बंद कैदियों के विषय में भी राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत का न्याय इतना महंगा है कि व्यक्ति को कोर्ट केसेज में अपने बर्तन तक बेचने पड़ जाते हैं। उन्होंने न्यायपालिका को कहा कि इस पर काम करने की आवश्यकता है। क्या विकास की यह परिभाषा है कि देश में जेलों की संख्या बढ़ रही है ?

राष्ट्रपति मुर्मू आगे कहती हैं कि जेलो में रह रहे कैदियों को अपने मूल अधिकारों, भारत की प्रस्तावना और अपने कर्तव्यों का ज्ञान कराना बहुत जरूरी है।

राष्ट्रपति मुर्मू का अंग्रेजी में सरकारी भाषण समाप्त होने के बाद हिंदी में दिए असरकारी भाषण जिसे चीफ जस्टिस,  जज, सरकार के मंत्री और वकील भी सुन रहे थे के विषय में संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि देश की राष्ट्रपति ने देश की न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका को यह नसीहत दी है कि देश की न्याय व्यवस्था में सुधार करने की नितांत आवश्यकता है।

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